सवार लूं
सवार लूं
जिस परिवार में ब्याह कर जा रही हूँ,
उस मकान को घर बना दूं,
पुरानी यादें छिपा कर,
मैं आज अपना मन सवार लूं।
कुमकुम भरे पैरो से घर की चौखट रंग दूं,
दीवारों को में अपनी आहट सुना दूं,
हर कोने को अपना कर,
मैं आज उनकी रंगत सवार लूं ।
दहेज रूपी संस्कारों से नया संसार बसा लूं ,
पुराने तौर तरीके को नए सांचे में ढाल दूं,
कुछ अपनी कुछ सबकी मान कर,
मैं आज इस घर की रीत सवार लूं।
रसोई घर को अपना दूसरा मंदिर बना लूं ,
मसालों से दोस्ती कर लूं ,
हाथों से प्यार परोस कर,
नए जायके से सबका स्वाद सवार लूं।
मां और सास के बीच की लकीर मिटा दूं,
पति के साथ लिए सात फेरों को बराबर बांट लूं ,
जिम्मेदारियों के तरफ हाथ बढ़ा कर,
मैं आज बेटी बन सबसे अपना रिश्ता सवार लूं
