कामयाबी।
कामयाबी।
चलो उठो और हौसला करो बुलंद,
छू लो आसमान को और बना दो एक जहाँ,
होना है कामयाब तो सूरज के उगने ना इंतज़ार करो,
सूरज उठाए तुम्हें उससे पहले खुद को तैयार करो।
कामयाबी का रहा है लम्बा,
लेकिन फ़तेह तुम पा जाओ,
ख़िदमत मत करो कल कि,
तुम आज में समा जाओ।
रास्ते को मजबूर करो खुद रहा दिखाने के लिए,
मंज़िल को मजबूर करो तुम्हारे कदमों में झुक जाने के लिए,
रहा में कंकर धूल परिश्रम मिलेगा,
उससे ना घबराओ तुम,
आगे बढ़ो और लक्ष्य पे फ़तेह पाओ तुम।
अगर बनना है कामयाब तुम्हें,
तो लोगों को नज़रअंदाज़ करना होगा,
पके दर्द मुस्कुराके,
नकारात्मक लोगों से दूर रहना होगा,
और मोह माया को त्यागना होगा।
कोशिश नही काम करो,
हौसला बुलंद और योजना पे विचार करो,
गिराने तोड़ने वाले मिलेंगे बहुत,
उनका भहिस्कार करो और खुद को प्रबल करो।
हिम्मत जुटा खुद पे भरोसा रख,
तू रहा पे चल आज नही तो कल
परिणाम तेरे हक़ में निकलेगा,
तीर साधो अर्जुन सा और निशाना लगाओ,
फिर देखो रेगिस्तान में भी जल निकलेगा।
ऊँचे ख़्वाबों के लिए,
दिल की गहराई में उतारना पड़ता है,
परिश्रम बडाना पड़ता है,
जितना बड़ा परिश्रम उतना बड़ा कामयाबी।
हार मत मुसाफ़िर,
हारना कायरों की निशानी है,
शूरवीर हो तुम,
तुम्हें शूरवीरता दिखानी है।