STORYMIRROR

Naveen kumar Bhatt

Fantasy Children

4  

Naveen kumar Bhatt

Fantasy Children

कालचक्र

कालचक्र

1 min
486

काल चक्र के मुख में आकर, कोई नहीं है बच पाया।

इससे बढ़कर दुनिया भर में, और नहीं है सच माया।


जीवन के हर मोड़ पे यारो इसकी बसती है साया,

कभी इधर से कभी उधर से, यक्ष प्रश्न बनकर आया।


इसकी अजब निराली दुनिया हर संकट अधिकारी रे

काल चक्र की लीला न्यारी अजब गजब बलिहारी रे


कभी खुशी तो कभी दुःखी, हमको यह बतलाता है।

तारों की भांति टिमटिम कर, बहुत खूब इठलाता है।


जीवन की बहती धारा यह, बनी मात्र मझधार यही,

कई रूप में आकर हमको, ये सदा यही समझाता है।।


अपनी करनी स्वयं सुधारो, यहां नहीं कोई सरकारी रे

काल चक्र की लीला न्यारी अजब गजब बलिहारी रे


ये प्रेम भाव सद्भाव एकता, बैर भाव वैराग्य यही है

कैसे टाल सकेंगे हम तुम , पुरखों ने जो बात सही है


संस्कार जीवन के मिलते, मात पिता गुरुवर दाई से

यही पूज्य होते हैं सच में, सब कुछ मिले प्रभुताई से


इनमें स्वयं विधाता बसते, यही देव धरा अवतारी रे

काल चक्र की लीला न्यारी अजब गजब बलिहारी रे


परख नहीं पाता है कोई , क्या कुछ आगे का संदेश 

मिले हर्ष उत्कर्ष नित्य पल, विधि व्यापक यह उद्देश्य


संबल ढाल बढ़े वह आगे, मिले नित्य अरमां उसी से

सब कुछ उसकी मर्जी से, हिले पवन आसमां तुझी से


सब कुछ चलती इससे ही, भला बुरा अरू तकरारी ये

काल चक्र की लीला न्यारी अजब गजब बलिहारी रे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy