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Diwa Shanker Saraswat

Romance Classics Inspirational

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Diwa Shanker Saraswat

Romance Classics Inspirational

काॅफी और चाय

काॅफी और चाय

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काॅफी और चाय

लगता दो बहनें हैं

शायद सौतेली

अलग माताओं की बेटियां

लगता चाय बड़ी बहन है


उसकी माँ का निधन

विपत्ति दे गया

पिता एक पुरुष

बेटी को पालना कहाँ आसान

कर ली दूसरी शादी

दलील बेटी को माँ मिल गयी

नहीं सत्य पूर्ण


चाय को माँ कब मिली

पिता भी दूर चला गया

इस तरह चाय और काॅफी

बहनें हैं सोतेली

बड़ी चाय

घर के काम में लगी रहती

गलतियों पर फटकार खाती

शक्ल देख भी न पाती आइने में

पूरे घर का काम था हाथ में

छोटी काॅफी

माता की चहेती

पिता उसकी माँ का गुलाम

फिर क्या कमी काॅफी को

हर चाहत को पूरा करती

किस्मत पर इतराती


एक पिता की दो बेटियां

बड़ी चाय

व्याह दी गरीब के साथ

सुगृहणी बन

राज्य करती रही प्रियतम के मन में

छोटी काॅफी

व्याह कर चली धनी के घर

इतराती भाग्य को

ऐश्वर्य मद में चूर

समय बढता गया

चाय गरीब की

काॅफी अमीर की हो गयी

ठीक है


बँटबारा हो गया

दुखद पहलू मुझ जैसे अनेक

दीवाने चाय के

बड़े रैस्टोरेंट से दूर रहते आये

चाय की दुकान पर चुस्की लेने बाले

बक्त के अनुसार

तलाशते चाय

एक मंहगे रेस्टोरेंट में

समझाये जाते

चाय नहीं मिलेगी

काॅफी इन मीनू


जिंदगी का चक्र

अब काॅफी हक जताने लगी

चाय के दीवाने को

फिर भी मैं भूल निज वर्तमान

तलाशता चाय


एक चाय की टपरी पर

तो बात यह हुई

गरीबों की चाय

अमीरों की काॅफी

और नये बने अमीर


झूल रहे चाय और काॅफी के बीच

चाय पुकारती महबूबा सी

काॅफी बोलती अब मैं महबूबा

इस जंग में फसा

मुझ जैसा इंसान

निर्भर करता अतीत याद रखता

या भूल जाता


चाय की टपरी तलाश रहा है

या मॅहगे रेस्टोरेंट में

इश्क लड़ा रहा नयी माशूका संग

भुला प्रेम बचपन का।


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