काबा काशी
काबा काशी
क्यूँ जाऊँ में काबा काशी
अभी तो मेरी रूह है प्यासी
जिंदगी की रंगीनियां देती है एक मज़ा
बस रटना प्रभु का नाम लगता है सजा
देख लेंगे जब पहुँचेंगे उसके दरबार में
वहाँ भी जा खडे होंगे काफिरों की कतार में ।
क्यूँ जाऊँ में काबा काशी
अभी तो मेरी रूह है प्यासी
जिंदगी की रंगीनियां देती है एक मज़ा
बस रटना प्रभु का नाम लगता है सजा
देख लेंगे जब पहुँचेंगे उसके दरबार में
वहाँ भी जा खडे होंगे काफिरों की कतार में ।