जय हो, हे देवों के देव!
जय हो, हे देवों के देव!
हे गुप्त प्रेम जो सभी वस्तुओं में व्याप्त है,
हे शक्ति जो इस विशाल ब्रह्मांड को बनाए रखती है,
हे स्वयं-प्रकाशमान प्रकाश जो सूर्य, चंद्रमा, सितारों
और बुद्धि को प्रकाश देता है,
हे इस ब्रह्मांड के आराध्य भगवान,
हे देवताओं के देवता, हे भगवान,
आप वेदों के गर्भ हो।
आप इस ब्रह्मांड के निर्देशक या राज्यपाल हैं।
आप मेरे जीवन का आधार है,
मेरी आत्मा का प्राण है, मेरे प्राणों का मुलाधार है,
मेरे मन का सुकून है, मेरी आँख का तारा है,
मेरे कानों की ध्वनि है।
आप फूलों और परिदृश्यों की सुंदरता हैं।
आप चेहरे और त्वचा में आकर्षण हैं।
आप वेदों के प्रणव हैं।
आप मधुर मौन हो।
आप वह शांति है जो हृदय में निवास करती है।
आप शाश्वत आनंद हैं।
आप अज्ञान के नाश करने वाले हैं।
आप अमरता के दाता हैं।
