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जुस्तजू

जुस्तजू

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गुजर जाती है शाम तेरे जाने के बाद भी,

पर यह रात काली सी लगती हैं ।


तकिये के निचे दबा कर रखे है तुम्हारें कुछ ख्याल ,

कुछ पुराने ख़तकुछ यादें,कुछ इल्ज़ाम


और साथ बिताय हुए कई साल ।



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