वक़्त
वक़्त
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एक वक़्त था जब हँस कर मिलता था सबसे
अब बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है
जिंदगी भी कुछ बीत रही है ऐसे,
रूह चुका रही हो कोई पुराना कर्ज जैसे
कितनी छोटी सी दुनिया है मेरी,
एक मैं हूँ और एक तन्हाई मेरी!!
कैसी बित रही है जिंदगी मत पूछ अभिषेक
ऐसे दौर से गुजर रहा हूँ, जो कमबख्त
गुजरता ही नहीं !