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Abhishek Shukla

Romance

5.0  

Abhishek Shukla

Romance

बूंदे

बूंदे

1 min
235


पलकों मैं छुपी कुछ बूंदें

आज भी तेरे होने का एहसास कराती हैं


रात होते ही तेरी यादों की सेहर हो जाती हैं

यह भीगी पलके ढूंढती हैं तुझको रात के अँधेरे मैं

तेरी यादों की दस्तक एक पल मैं उजाला कर जाती हैं


छुप के रहती हैं गुमसुम सी दिल के किसी कोने मैं

पर खमोश रहकर भी अपने होने का एहसास करा जाती हैं

देखा था आज दो भाइयों को कभी लड़ते कभी मुस्कराते

मैं कितना अधूरा हूँ तेरे बिन


यह कमबख़्त मेरी तन्हाई मुझें याद दिला जाती है

कहने को दुनिया की भीड़ मैं अकेला हूँ

लेकिन हम चार है


मैं, मेरी तन्हाई, तेरी यादे और तेरा एहसास

पूरी तरह से जीना कब का भूल चुका हूँ मैं

कुछ तेरी यादों में जिंदा हूँ कुछ खुद मैं बाकी हूँ




कैसे भूल जाऊं तुझे एक मुकदमा तो तुझ पर बनता हैं

तेरी मालकियत तो मेरी हर सास हर सपने मैं शामिल है

जनता हूँ वक़्त के पहिये से तू वापिस आएगा नही,

जमाना कुछ भी कहे तू मेरी आदतों से जायेगा नहीं




जानता हूं मिलूंगा तुझसे एक दिन किसी ओर दुनिया मे

लेकिन तेरे हिस्से की खामोशी क्यो मेरी पलके भीग जाती हैं

पलकों मैं छुपी कुछ बूंदें

आज भी तेरे होने का एहसास कराती हैं



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