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Abhishek Shukla

Romance

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Abhishek Shukla

Romance

बूंदे

बूंदे

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पलकों मैं छुपी कुछ बूंदें

आज भी तेरे होने का एहसास कराती हैं


रात होते ही तेरी यादों की सेहर हो जाती हैं

यह भीगी पलके ढूंढती हैं तुझको रात के अँधेरे मैं

तेरी यादों की दस्तक एक पल मैं उजाला कर जाती हैं


छुप के रहती हैं गुमसुम सी दिल के किसी कोने मैं

पर खमोश रहकर भी अपने होने का एहसास करा जाती हैं

देखा था आज दो भाइयों को कभी लड़ते कभी मुस्कराते

मैं कितना अधूरा हूँ तेरे बिन


यह कमबख़्त मेरी तन्हाई मुझें याद दिला जाती है

कहने को दुनिया की भीड़ मैं अकेला हूँ

लेकिन हम चार है


मैं, मेरी तन्हाई, तेरी यादे और तेरा एहसास

पूरी तरह से जीना कब का भूल चुका हूँ मैं

कुछ तेरी यादों में जिंदा हूँ कुछ खुद मैं बाकी हूँ




कैसे भूल जाऊं तुझे एक मुकदमा तो तुझ पर बनता हैं

तेरी मालकियत तो मेरी हर सास हर सपने मैं शामिल है

जनता हूँ वक़्त के पहिये से तू वापिस आएगा नही,

जमाना कुछ भी कहे तू मेरी आदतों से जायेगा नहीं




जानता हूं मिलूंगा तुझसे एक दिन किसी ओर दुनिया मे

लेकिन तेरे हिस्से की खामोशी क्यो मेरी पलके भीग जाती हैं

पलकों मैं छुपी कुछ बूंदें

आज भी तेरे होने का एहसास कराती हैं



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