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जुडाव

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कुछ आदतें मेरी

बुरी हैं तो बुरी हैं।


जरूरत से कहीं ज्यादा

फिकर, तुम्हारी,

बुरी है, तो बुरी है।


तुम दुखी हो, मै हंसू,

मुमकिन नहीं ए दोस्त

चुनांचे बीमारी बुरी है,

तो बुरी है।


बदला मौसम, सर्द रातों ने,

ओढ ली रूई की चादर,

तेरी खातिर मै न बदला

दोस्त, बुरा हूं तो बुरा हूं।


कि जो हैं महलों मे रहते,

उन्हें महलों मे रहने दो,

मै हूं ना लू से बावस्ता,

फिर भी बुरा हूं तो बुरा हूं।


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