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Dhirendra Panchal

Abstract

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Dhirendra Panchal

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जोगीरा

जोगीरा

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तू तू मैं मैं बंद भइल अब बंद भइल रउबार।

बुलडोजर के देख पसीना फेंकें जीजा सार।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


तीन तलाक अउ 370 भागल सरहद पार।

कांग्रेस के कीड़ा मरलस कीटनाशक सरकार।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


देखते देखत धीरे हो गइल सइकिल के रफ्तार।

पहिया पंचर कइले बा ई बाबा के सरकार।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


मुँह फुला के भागल जालें भइया अब ससुरार।

भउजी के संग धोखा कइलें युवा बेरोजगार।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


पांच साल तक कुछ ना कइलें भइलें मालामाल।

कान पकड़ के माफी मांगे बेहया जइसन हाल।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


मुफ्त के बिजली बांटी अब महँगाई मिली उधार।

दारू के दुकान खुलत हव दिल्ली अबकी बार।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


ललका गमछा देख भड़क गइल योगी जी के सांड़।

पियर गमछा माहो चटलस कइलस सबके रांड़।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


राजभर के राज गइल अखिलेश क गइल काज।

मौर्या जी क ताज गइल बाबा के हो गइल आज।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


2G चारा कोल घोटाला इनकर रहल आधार।

सोच के ससुरा बइठल रहलैं संसद के ससुरार।

जोगीरा सा रा रा रा रा।।


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