जो तू यहाँ होती !
जो तू यहाँ होती !
जो तू यहाँ होती,
इस शहर के एक भी फूल को जमीं नसीब ना होती,
सारों को तेरे होंठो से लगकर उन क़िताबों में दफन होना था !
जो तू यहाँ होती,
इस समंदर की लहरों को साहिल नसीब ना होता,
सारो को तेरी आँखों की गहराइयों में विलीन होना था !
जो तू यहाँ होती,
इस रात को चांदनी की रुमानियत नसीब ना होती,
चाँद को तेरी जुल्फों में हर शाम ढलना जरूरी था,
जो तू यहाँ होती,
इन अल्फाज़ो को कोई कलम या कागज़ नसीब ना होते,
हर दिल-ओ-एहसास को तेरी रगो में बहना जरूरी था,
जो तू यहाँ होती !

