इश्क़
इश्क़
ग़र इश्क़ हो कभी तो ऐसा हो,
वो समंदर हो और हम जहाज हो,
ग़र उसको मुझमें उतरना है तो मुझे टूटना पड़े,
ग़र मुझको उसमें उतरना है तो मुझे डूबना पड़े!
ग़र इश्क़ हो कभी तो ऐसा हो,
वो समंदर हो और हम जहाज हो,
ग़र उसको मुझमें उतरना है तो मुझे टूटना पड़े,
ग़र मुझको उसमें उतरना है तो मुझे डूबना पड़े!