जो सैनिक देश पर मिटा, सुनो उसके परिवार की विपदा
जो सैनिक देश पर मिटा, सुनो उसके परिवार की विपदा
देश के लिए रहे समर्पित,
बन सैनिक ले वीरता अवतार।
हमारे लिए तो तुम थे,
जीवन का आधार।।
मेरे माथे की बिंदिया,
सिंदूर मेरे सुहाग का।
नाता था मेरा तुमसे,
प्रेम और राग का।
तुमसे ही तो था सजा,
मेरा घर संसार।।
हमारे लिए तो तुम थे,
जीवन का आधार।।1।।
माता जी के नाज तुम्हीं थे,
दादा के सरताज तुम्हीं।
ससुर जी के लिए थे,
जीने का अंदाज़ तुम्हीं।
उनके स्वप्न ने लिया तुम्हारे,
रूप में आकार।।
हमारे लिए तो तुम थे,
जीवन का आधार।।2।।
बिटिया की जान थे तुम,
बेटे के थे प्राण
।
किसके सहारे छोड़ हमें,
किया स्वर्ग प्रयाण।
कौन समझ पाएगा प्रिय,
हमारे दुःख का पार।।
हमारे लिए तो तुम थे,
जीवन का आधार।।3।।
बाबुल से ना सीखा मैंने,
जी अकेला जीवन।
ना तुम सा पाया है,
सरकारी संगठित प्रशिक्षण।
मेरे तो नायक तुम्हीं,
तुम्हीं मेरे सरदार।।
हमारे लिए तो तुम थे,
जीवन का आधार।।4।।
दुनिया लुट गई है मेरी,
फिर भी दम रखती हूँ।
समर्पण के भावों में,
आशाएँ कम रखती हूँ।
दे रही हूँ बेटे को भी,
सैनिक का आकार।।
हमारे लिए तो तुम थे,
जीवन का आधार।।5।।