Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Meetu Sinha

Abstract

4  

Meetu Sinha

Abstract

गाँव की मिट्टी

गाँव की मिट्टी

1 min
564


जब जब गाँव की मिट्टी,

आती है हमको याद।

याद आती खेतों की,

नदिया की कल कल नाद।।


जब भी हम छोटी सी कोई,

सफलता कहीं भी पाते।

घूमते फिरते गाँव में,

अकड़ते और इतराते।

स्मरण हो आती माँ की थपकी,

बाबूजी की दाद।।

जब जब गाँव की मिट्टी,

आती है हमको याद।।1।।


वो खेतों की पगडंडी पर,

सम्भल सम्भल कर चलना।

गईया के बछड़े के साथ,

क्षण क्षण खेल को मचलना।

ध्यान आती है खेतों की,

वह गोबर वाली खाद।।

जब जब गाँव की मिट्टी,

आती है हमको याद।।2।।


छत पर सोने जाने में,

होती थी रोज लड़ाई।

अपनी जगह की लूटा-लूटी,

वो मोटी सी रजाई।

दादी माँ की कहानियाँ मन में,

अब भी हैं आबाद।।

जब जब गाँव की मिट्टी,

आती है हमको याद।।3।।


गाँव की मिट्टी अब भी,

बनी है अपनी पालनहार।

भारतों को देती अनाज,

वस्त्र जीवन के आधार।

धड़कन में बसी हुई है,

दूर होने के भी बाद।।

जब जब गाँव की मिट्टी,

आती है हमको याद।।4।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract