जो लोग भूल गए हैं तुम्हें
जो लोग भूल गए हैं तुम्हें
जो लोग भूल गए हैं तुम्हें,
वही तुमसे एक दिन रिश्ता बनाने निभाएंगे !
खुद को तुम्हारा शुभचिंतक बता नाता जोड़ने आएंगे।
तू निकल जा मंज़िल की सफ़र में,
कर ले एक बार तू मुकद्दर से मुलाकात!
कल तक जो तुम्हें कोसते थे वही उस दिन तुम्हें दिखावटी शाबाशी देने आएंगे ।
अपना तुझपर एहसान जताकर वे मौका खूब भुनाएंगे।
अभी जरूरत के समय जिन्हें तुम्हारी न तो कोई फिक्र है!
न ही कोई अपनेपन का लगाव है,
किन- किन परिस्थितियों से अकेले ही तुम जूझ रहे हो !
ये ख्याल शायद ही किसी के ज़ेहन में आएंगे !
गर भूले- बिसरे आ भी गये ख्याल तो सिवाय सलाह देने के वे और कुछ भी कर न पाएंगे !
जब साथ देने की बारी आएगी तो वे अँगूठा दिखाकर, बहाने बनाकर सिरे- से मुकर जाएंगे !
तू एक बार मंज़िल को पा ले फिर देख तुम्हारी हालातों पे हँसने वाले ये तमाशबीन-
श्रद्धा- सुमन लुटाएँगे।
वही एक दिन तुम्हें अपने एहसान की याद दिलाएंगे।
एक बार तू सफल तो हो जा !
फिर सब तुझपर स्नेह अपना बरसाएंगे।
