जो दिखता है?
जो दिखता है?
जो दिखता है वह सच नहीं होता।
जो सुनता है वह सब नहीं होता।
दिशाएं चार हैं, वस्तु एक है।
जो दिखता उत्तर से है वह दक्षिण से नहीं होता।
दिशा बदलते ही वस्तु का प्रतिबिंब बदल जाता है।
जो उधर से दिखता है वह इधर से कहां नजर आता है।
इसलिए सुनने की तो छोड़ो, देखी हुई बातों पर भी यकीन नहीं करना।
अपने मन से हर बात को तोलो।
आत्मानुभूति करो फिर किसी से कुछ बोलो।
मन के अंदर विशाल है साम्राज्य
बाहर कुछ भी आने से पहले सब कुछ मन के अंदर है होता।
जो दिखता है वह सच नहीं होता।
हर चीज के पीछे परिस्थिति जन्य कोई कारण है होता।
इसीलिए किसी के बारे में भी बुरा या भला
सोचने का किसी को कोई अधिकार नहीं होता।
जो दिखता है वह सच नहीं होता।
