ज्ञान के मोती
ज्ञान के मोती
इस वर्ष बड़ा सुखद रहा...
अपने कुलगुरु से मिलना।
उनके द्वारा ज्ञान के कुछ मोती अपने आँचल में बांधना!
उनकी एक सुक्ति जो याद रहेगी।
जिसके अमल से जिन्दगी कुछ और बेहतर बनेगी।
वह कुछ चुनिंदा शब्दों का मेल रहा!
यह जीवन भी कुछ हार जीत का खेल रहा!
उन्होंने जो कहा... वही हूबहू लिख रही हूँ यहाँ...!
जो खुद को धोखा देता है उसको सारा विश्व धोखा देता है!
कम से कम अपने आपसे तो वफादार रहो, जैसे भीतर हो वैसे बाहर होकर रहो!
जो खुद से वफादार नहीं रह सकता वह किसी से भी वफादार नहीं रह सकता।
जो और अपने लोक-लोकान्तर को नहीं सुधार सकता!
आप सत्कार्यों के माध्यम से स्नेहमयी वाणी व प्रेमपूर्वक व्यवहार को
अपने में उतारकर प्रसन्नात्मा होकर स्वयं भी स्व में प्रतिष्ठित होकर
सुकून प्राप्त करने की चेष्टा करना व हमेशा औरों को खुशी मिले ऐसे प्रयास करना।
जीना उसी का है जो औरों के लिये जीता है!
ह साल अपनी यादों में एक और याद जोड़ जाता है!
मेरी यादों की पोटली में एक और ज्ञान का चमकीला मोती दे जाता है!