गुरु वंदना
गुरु वंदना
गुरु जी वंदन करता हूँ ,
सुमिरन आपकी करता हूँ।
चरण शरण में आश्रय तेरा,
सर नतमस्तक करता हूँ।
गुरुजी वंदना करता हूँ
भगवन से भी ऊपर नाम तुम्हारा।
तुम बिन ना हो जग उजियारा,
तुम बुद्धि के दायक।
गुरुवर कर्ण जैसा पराक्रम देना,
ध्रुव जैसी भक्ति तुम देना।
गुरु इच्छा वर बुद्धि देना,
मात पिता गुरु जैसे।
कोई नहीं आता।
मन की तृष्णा मिटाता,
मार्ग प्रशस्त कर्ता।
गुरु बिन बुद्धि न होए ,
काज न होए।
अंधकार मिटाओ गुरुवर,
बाधा को पार लगाओ गुरुवर।
गुरुजी वंदना करता हूँ ,
सुमिरन आपकी करता हूं।