जनसंख्या दिवस
जनसंख्या दिवस
मानो हमारे देश की जनसंख्या पीपल का पेड़ हो,
जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है,
हर दिन कोई मरता है तो कहीं कोई जन्म लेता है,
यही सृष्टि का नियम है,
जिसके आगे हम भी नतमस्तक है,
जहां पहले गर्भपात को पाप समझा जाता था,
वहीं आज समय की मांग है,
जनसंख्या को नियंत्रित करना,
हर साल जनसंख्या की गणना होती है,
हर साल कुछ न कुछ परिवर्तन होता है,
फिर भी सुख सुविधाएं कम पड़ जाती है,
जिसका कारण जनसंख्या की अत्याधिक तेजी से वृद्धि,
सरकार इस ओर प्रयत्नशील भी है,
क्योंकि भविष्य की नींव टिकी है,
कहीं न हो जाए धर्मयुद्ध की स्थिति,
इस चिंता में सरकार भी चिंतित हैं,
सुविधाएं कम जनसंख्या दुगुनी,
कैसे हल हो ये मुश्किल ?