जज़्बात
जज़्बात
कभी ना मिल पाए हम तो गम ना करना
मुझे याद करके अपनी आंखे नम ना करना
नही रोक पाउंगी खुदको तुझे मिलने से
गलती से भी कभी तुम पैगाम ना करना
अक्सर छूट जाते है हाथों से हाथ यहां
रिश्तों का कभी तुम गुमान ना करना
प्यार से निभाने है सभी रिश्तों को तुम्हे
गुस्से में कभी किसी का अपमान ना करना
आज भी धड़कता है ये दिल तुम्हारे नाम
ये जुदाई को बेवफाई का इलज़ाम ना करना
बिछड़ते वख्त "श्वेत" की आखरी गुजारिश है
जिस्म से कभी जज्बातों का दाम ना करना।