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Hiral Hemang Thakrar

Drama

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Hiral Hemang Thakrar

Drama

जिंदगी

जिंदगी

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अपनो की भीड़ मे कभी।

मैं अकेली हो जाती हुं।।


एक रिश्ता संभालती हुं तो।

दुसरे से जुदा हो जाती हुं।।


मुश्किलो से लड़ लेती हुं।

अपनो के आगे हार जाती हुं।।


कैसे संभालु सब एक साथ ?

थकान मैं भी महसूस करती हुं।।


चुनौतीयो से डर नहीं लगता।

बस लडाई से थोड़ा घबराती हुं।।


कभी मुड़कर देखती हुं तो।

खुद को तन्हा तन्हा पाती हुं।।


थोड़ा-सा सुकून दे दे जिंदगी

इससे ज्यादा क्या मांगती हुं ?




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