अजनबी
अजनबी
चंद घंटो का ही सफ़र था
अचानक मिलना हुआ था
वो प्यार से मुस्काया था
फिर बातो का दौर चला था
रिश्ता वैसे तो कोई नहीं था
अपनेपन का एहसास हुआ था
मंजिल आ गई अपनी अपनी
वहीं अधूरी रह गई वो कहानी
क्या बताऊं मैं, वो कैसे पल थे ?
जब मिले थे उस अजनबी से।