Meeta Khurana

Abstract

4.5  

Meeta Khurana

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जिंदगी

जिंदगी

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लिखने को तो बहुत कुछ लिख सकती हूँ 

इस ज़िन्दगी के बारे मे

कभी आंसुओं का दरिया है

तो कभी खुशियो की बहार


सुहाना बचपन लिख सकती हूँ इसे

मोहब्बत से भरी जवानी भी तो लिख सकती हूँ

बच्चों मे खुद को तलाशती इक तलाश

लिख सकती हूँ


और तन्हा सिसकता बुढापा भी तो लिख

सकती हूँ मैं

कितना सुहाना एहसास होता है न ये ज़िन्दगी

सपनों से भरी आँखें

और आंखों में दम तोड़ता इक सपना।


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