Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Meeta Khurana

Abstract

4.5  

Meeta Khurana

Abstract

नारी का सम्मान तुम्हीं को करना होगा

नारी का सम्मान तुम्हीं को करना होगा

1 min
358


खुशकिस्मत लोगों के घर पायल खनकती है

नन्ही परी के आगमन से बगियाँ महकती है


धनलक्ष्मी भाग्य लक्ष्मी बेटियां कहलाती है

साथ अपने ये अपनी तकदीर लेकर आती है


माँ की परछाई बाप के दिल का टुकड़ा होती है

कौन कहता है कि आखिर बेटी बोझ होती है ?


इनकी खिलखिलाहट से सुरमयी तार बजते है

क्यों इनको पैदा होते ही दफन लोग करते है ?


दोनों खानदानों की इज्ज़त ये बखूबी निभाती है

इक बेटी ही है जो तकलीफ़ो में भी मुस्कराती है


प्रसव पीड़ा सहन कर घर का चिराग जो लाती है

क्या कारण है कि वो चुपके से नीर बहाती है ?


कदम से कदम मिलाकर साथ वो चलती है

फिर भी आदमी की हवस का शिकार वो बनती है


माँ बेटी बहन बहू पत्नी का रोल बखूबी निभाती है

फिर भी अपने हिस्से की खुशी को तरस जाती है


नजर बदलो नजरिया तुमको अपना बदलना होगा

जागो अब तो नारी का सम्मान तुम्हीं को करना होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract