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Meeta Khurana

Abstract

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Meeta Khurana

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आँसू

आँसू

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तुमने कभी देखा हैं क्या ?

किसी खिलखिलाते चेहरे के पीछे 

छिपे आंसुओं को,,,

गिरते गिरते जो थम से जाते हैं अक्सर

अपने अपनो को दुख से बचाने के लिए,,,,

और कभी कभी छलक से पडते हैं अक्सर

ये जरा जरा सी बातों पर,,,

कभी कभी किसी को खोने पर 

ये बहते जाते हैं अविरत,,,

और कभी कभी छलक पडते हैं ये

बेइंतहा खुशी पर,,,,

कितना अनोखा सा रंग है न

इन आंसुओं का ,,,

कभी बेहद रंगीन और

कभी बेहद रंगहीन,,!


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