जिंदगी तुझसे खफ़ा हूँ
जिंदगी तुझसे खफ़ा हूँ
टूट पहले ही गया था, बस अभी बिखरा नहीं हूँ
जिंदगी तुझसे खफा हूँ, हाँ मगर इतना नहीं हूँ ।।
एक झोंका सा चला, सब कुछ उड़ा कर ले गया है
वक़्त इस दिल को हजारों दर्द गहरे दे गया है
मानता हूं लड़खड़ाया था, मगर ठहरा नहीं हूं...
जिंदगी तुझसे..........।।
कल अकेला था सफर में, कुछ मुसाफ़िर जुड़ गए थे
मोड़ आते ही सुखों का, वे अचानक मुड़ गए थे
लोग बदले वक्त बदला मैं कभी बदला नहीं हूं....
जिंदगी तुझसे..........।।
चल रहा हूँ साँस थामे, दर्द की पगडंडियों पर
हँस रहा हूँ मुश्किलों की, इन कटीली झाड़ियों पर
चाह कर भी इस सफर में दूर आ पाया नहीं हूँ...
जिंदगी तुझसे............।।
आत्मगौरव की शिखा को मैं सम्हाले चल रहा हूँ
पर कभी तूफान के आगे नहीं अब तक झुका हूँ
वक़्त ने तो लाख धमकाया मगर बदला नहीं हूँ....
जिंदगी तुझसे..........।।
