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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

जिंदगी को रहे जान

जिंदगी को रहे जान

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इस जिंदगी को रहे हम जान है

अपनों को रहे हम पहचान है

दुःख का कुछ समय क्या आया,

लोग भागकर चढ़ गये छान है


अपनो ने दिये हमे सितम इतने,

आंखों में आंसू नही है जितने,

जिंदगी को ठोकरों से सीख रहे,

औऱ ले रहे न भुलनेवाला ज्ञान है


इस जिंदगी को रहे हम जान है

लोगों के धोखो से ले रहे वरदान है

कोई इस जग में अपना नहीं है,

इस बात को तू साखी पहचान है


लोग कितना ही क्यों न सताये,

लोग कितना ही क्यों न जलाये,

फिर भी कर तू पत्थरों पे निशान है

अपने श्रम से बना तू गुलिस्तान है


आग में तपकर के खरा होना,

होती एक सोने की पहचान है

इस जिंदगी को रहे हम जान है

कठिन श्रम से बनाएंगे पहचान है।


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