जिंदगी को दूर से मत देख
जिंदगी को दूर से मत देख
ज़िंदगी को दूर से मत देख
थोड़ी और करीब ले आ राही ,
थोड़ा आगोश में भर के देख ,
हर रंग की मिल जायेगी सियाही ।
ये जो दूर से दीदार है ना इसका
धुंधलाहट पैदा करता है राही,
थोड़ी चेहरे पे बूंदों को लेकर आ,
दिल से निकल आयेगी ये गवाही ।
मंदिरो मस्जिदों में दुआएँ मांगने हो
मन भटका हुआ है सदाओं से राही ,
थोड़ा बिना दुआ नाम तो लेके देख,
तू सबसे सच्चा अच्छा बनेगा सिपाही ।