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Amar Tripathi

Romance

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Amar Tripathi

Romance

जिंदगी की वो राज हो तुम (अमर त्रिपाठी)

जिंदगी की वो राज हो तुम (अमर त्रिपाठी)

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जिंदगी की वो राज हो तुम जिसे कभी कह न पाया,

जब भी किसी से कहने की कोशिश की,

मगर हिम्मत न जुटा पाया।

जब भी सुनाने की कोशिश किया,

फिजाओं में गूंजती उसकी सिसकियां सुन,

 लफ्ज़ खुद ब खुद खामोश हो गए,

तुम्हारे यादों को सीने में दफन कर

जीने लगा हूं।

तुम्हारी मोहब्बत को अनसुलझी पहेली समझ,

जिंदगी में आगे बढ़ने लगा हूं,

जिंदगी में कयामत न आ जाए फिर कहीं।

इस लिए तो उन मीठे यादों को भी दर्द समझने लगा हूं।

तुम्हारी मुलाकात का राज क्या था पता नहीं।

मगर वो मुलाकात की हर यादें,

किसी प्यासे के लिए पानी से कम न था।

क्या करता मैं ? किस किस से लड़ता इस जहां में?

कमबख़्त कोई समझता नहीं मोहब्बत को तड़पन को,

इसलिए तो मोहब्बत को कहानी समझ किताबों में पढ़ने लगा हूं।।


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