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Minal Aggarwal

Tragedy

4  

Minal Aggarwal

Tragedy

जिन्दगी की कहानी

जिन्दगी की कहानी

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आज 

एक कहानी सुनाती हूं 

किसी की जिन्दगी की कहानी 

लोग कैसे करते हैं खत्म 

यह राज बताती हूं 

बिना बात 

उलझते हैं 

सामने पड़ने पर 

गाल पर चांटा जड़ते हैं 

किसी को कमजोर जान 

उसकी मजबूरी का फायदा उठा 

उसे जिंदा 

एक अजगर सा

निगलते हैं 

उसके चेहरे पर 

मुस्कान आने ही नहीं 

देते 

उसका दिल 

एक कांच के खिलौने सा

बार बार तोड़ते हैं 

उसका हौसला गिराते हैं 

उनका जो बस चलता है तो

जमीन से भी नीचे 

कोई जगह हो तो

उस शरीफ व्यक्ति के 

आत्मसम्मान को वहां भी

गाड़ते हैं

शारीरिक यातनायें देते हैं 

मानसिक प्रताड़नायें भी

आत्मविश्वास को तोड़ने की 

पुरजोर कोशिश 

हर समय, हर पल 

जीवन की पहली सांस से 

उस अभागे की आखिरी सांस 

तक करते हैं 

पांव में अड़ंगी डालते हैं 

मुंह के बल गिराते हैं 

जीने नहीं देते 

मरने नहीं देते 

ठीक से सांस लेने भी 

नहीं देते 

अच्छा व्यवहार भी उन्हें 

रास नहीं आता 

न करो बात तो 

रही सही इज्जत का जनाजा ही

निकल जाता 

हर बात की है 

काट 

सब कुछ उल्टा पुल्टा 

जैसे जैसे उम्र बढ़ रही 

वैसे वैसे बददिमागी भी 

भगवान कहीं विराजमान हैं तो 

ऐसे कमसमझ लोगों को 

सद्बुद्धि दें

खुद जिये दूसरों को भी जीने 

दें

इस सबक की शिक्षा 

दें

गर्म लू के थपेड़ों से तप रही रेत में 

कहीं से तो ठंडे पानी के छींटे 

मारें

दिल के हरदम उफनते

क्रोध के लावे में

कहीं से तो 

प्रेम के शीतल जल का 

फव्वारा फोड़ें।


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