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pratibha dwivedi

Abstract Classics Inspirational

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pratibha dwivedi

Abstract Classics Inspirational

जिंदगी के रंग

जिंदगी के रंग

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जीवन में हालातों के उलटफेर से

जो उतार-चढ़ाव जीवन में आते हैं

यही उतार-चढ़ाव जीवन के,,,,

जिंदगी के रंग कहलाते हैं।


कभी जीवन में रंग रलियाँ होती हैं

कभी मातम के बादल छाते हैं।

कभी महफ़िल में गुजरतीं हैं शामें

कभी तन्हाई से घबराते हैं।


कभी गुस्से में लाल हो जाते हैं

कभी करुणा सब पर बरसाते हैं

कभी डर से पीले पड़ जाते हैं

कभी दबंग रूप दिखाते हैं।


कभी स्वार्थ के वश अंधे होकर

अपनों को धोखा दे जाते हैं।

कभी छद्म वेश धारण करके 

मुँह काला भी कर जाते हैं।


अपराध बोध से ग्रसित हो फिर

मन ही मन पछताते हैं।

और मारे शर्म के सारी दुनियाँ से

चेहरा भी अपना छुपाते हैं।


शर्मो-हया ईर्ष्या-द्वेश घृणा, कृपणता

हर्षोल्लास ,मातम , प्रेम चपलता

कभी हेकड़ी , कभी भय ग्रस्तता

कभी दयालुता , कभी निकृष्टता 


यही तो जिंदगी के रंग हैं सारे 

जिनमें हम रंग जाते हैं।

कोई नहीं इनसे है अछूता 

सबके जीवन में असर ये दिखाते हैं 


वक्त का पहिया जैसा घूमे

वैसे हम चलते जाते हैं !!

कभी उठते कभी गिरते हैं हम 

इन रंगों में रँगते जाते हैं ।


एक रंग अभिमान का भी है

पर इसमें रँगना ठीक नहीं !!

वक्त कभी ना एक सा रहता

इसलिए अकड़ना ठीक नहीं ।


मानवता का रंग सबसे चोखा

इस रंग में सराबोर जो होता

वही इहलोक-परलोक दोनों में

जीवन के रंगों का आनंद लेता !

जीवन के रंगों का आनंद लेता !


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