जिंदगी कैसे रंग दिखाए..
जिंदगी कैसे रंग दिखाए..
जिंदगी कैसे रंग दिखाए...
रे जिंदगी कैसे रंग दिखाए...
जब तक पैसा रहा जेब में सभी सगे थे पाए.
खाली होते ही जीवन ने अनजाने रंग दिखाए.
जिंदगी कैसे रंग दिखाए...
कल जो गले लगे थे दिल को थे भरमाए.
आज हमारी बदहाली पर वो ही तो मुस्काये..
जिंदगी कैसे रंग दिखाए...
हमको दिया ज़ख्म वो थे अपने नहीं, पराये.
दर्द हुआ तब हम समझे अपने निकले पराये..
जिंदगी कैसे रंग दिखाए...
सुबह समझकर जिंदगी को हम थे गए सताए
समय ने चलकर उनको रात दिवस दिखाए..
जिंदगी कैसे रंग दिखाए...
'सुओम' अब भी चलता दिल में प्रभु बसाए.
तू कहाँ पर ठहर गया है अब नजर ना आये.
जिंदगी कैसे रंग दिखाए...