जिंदादिली
जिंदादिली
जिनकी होती है, जिंदादिली कायम
वो गरीबी में रखता अमीरी आलम
वो अग्नि में भी बहाता है, शबनम
जिंदादिली का ऐसा होता है, हम
ज़माना चाहे लाख ढहाये, सितम
वो मुस्कुराता रहता है, बस हरदम
उसे होती है, जिंदादिली की कसम
वो अमावस में बनता, चाँद पूनम
इसकी बाजार में न मिलती, कलम
यह तो ख़ुदी का अहसास है, चरम
जब भीतर से आंखे होती है, नम
दुनियादारी का खत्म होता है, भरम
तब प्रकट होता जिंदादिली, खसम
जिंदादिली से मिट जाते, सब सितम
जब घावों पर नमक से खुश हो, ज़ख्म
तब पाते है, हम, यह जिंदादिली मरहम
पर सबको न हो रही जिंदादिली, हजम
जिंदादिल साखी सच जो बोलता, प्रथम
आजकल सत्य से खत्म हो रहा, अमन
लोगो को आजकल बहुत पसंद है, तम
तू नही घबराना, रखना जिंदादिली अहम
सत्य ओर बढ़ाता, तू साखी सदा कदम
सत्य और जिंदादिली में है, ईश्वर, परम
जिंदादिली को बना अपना लक्ष्य, परम
माना जिंदादिली राह है, साखी दुर्गम
पर सत्यवादी के लिये सब है, सुगम
जिंदादिली से मिटेंगे, तेरे सब ही गम
इससे होगी, दरिया बूंदे मीठी, शबनम
जिंदादिली है, सही में जीने का कदम
बाकी तो जिंदगी काटते हुए है, कदम।
