जीवन
जीवन
तुम से शिकवा क्या करें
जब तुम -तुम ही न रहे
तुम तो मैं हो चुके हो
अब तुम -तुम कहाँ रहे
मैं भी मैं अब कहाँ रहा
सारा तुम ही हो गया हुँ
दुनिया मुझसे कहती है
शायद कहीं पर खो गया हुँ
अब नही तो कब मिलोगे
मुझसे नही खुद से ही
अब तो कह दो कब मिलोगे
मुझसे मिलना न भी हो गर
खुद से मिलना तुम मग़र
मैं तो तुम हुँ तुम ही रहूंगा
अब तुम भी तो तुम ही हो जाओ
कब तक मैं में डूबे रहोगे
अब तो इस मैं को ठुकराओ
तुमसे पाते होंगे कितने
अपनी सांसों में जीवन को
और एक तुम बेसुध पड़े हो
भूलकर अपनी ही सुध-बुध को
मेरा तुमसे कैसा शिक़वा
शिक़वा मेरा खुद से है
मेरे जैसा भी जो मिट गया तुम पर
और एक तुम हो कहाँ
यह तुम्हें ही नही है ख़बर
राधा -मीरा दोनों सहेली
कृष्ण प्रेम में दोनों कृष्णमयी
कृष्ण कहाँ अब कृष्ण रहे है
राधेकृष्ण और मीरा के मोहन
राधा में ही अब कृष्ण है
मीरा कहाँ अब रही है मीरा
दोनों का है प्रेम अनन्त
कौन समझ सका यह जीवन सरल
उत्कृष्ट भावना रचनात्मक शैली
दूरियां तो है दिलों में फैली
आंखें उतना ही देखती है
जितनी जहां तक दृष्टि है
तुम अपने को स्वयं में खोजो
फिर देखो जीवन यह न्यारा
पलक झपकते ही हो जायेगा
सारा जीवन कितना प्यारा
सारा जीवन कितना प्यारा।