STORYMIRROR

डॉ० कुलवीर बैनीवाल

Action Inspirational Others

4  

डॉ० कुलवीर बैनीवाल

Action Inspirational Others

जीवन

जीवन

1 min
352

इस कविता में आपको "जीवन" के बारे में जानकारी मिलेगी कि कवि ने किस तरह जीवन को जीने की कला बताई है :-


कमरे तो हैं मगर किस काम के,

जब बुजुर्ग ही नहीं है घर पर,

गाँव ऊसर हो चुके हैं आज-कल,

पर ईंटों वाले महल बहुत है मोड़ पर।


समय पुकारे जब भी, देख लो,

अनसुना जो कर दिया, पछताओगे,

जीवन को सही से जान लो, 

कह रहा हूँ, इनसान बन जाओगे।।


वजन(भार) सहने की जिसे आदत न हो,

क्या सहेगा वो जीवन के भार को,

खेलता जो जिन्दगी को खेल सा,

उसका ही जीवन साकार हो।

 

साहसी जीवन को जिन्दगी कहते हैं हम,

साहस जो छोड़ दें वह लाश हैं,

जीवन में जंग लड़ना आम बात है,

आदमी में यह हुनर कुछ खास हैं।।


"कुलवीर बैनीवाल" रहगुजर मत ढूँढ राह में,

रुक गया तो जीवन रुक जाएगा,

हिम्मत दिल में लिए सफर पर चल, 

मंजिले गुणगान तेरा गाएगी।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action