नन्हा सा बालक वो खेलता था सिंह से जो, शौर्य का रस रंग छलका हो भरत बनकर , धरा को अपने नन्हा सा बालक वो खेलता था सिंह से जो, शौर्य का रस रंग छलका हो भरत बनकर ...
रेप: कहने में कितना आसान होता है न! पर उस पीड़िता का क्या होता है! क्या ये कभी समाज रुपी दरिंदा समझ ... रेप: कहने में कितना आसान होता है न! पर उस पीड़िता का क्या होता है! क्या ये कभी स...
समय पुकारे जब भी, देख लो, अनसुना जो कर दिया, पछताओगे समय पुकारे जब भी, देख लो, अनसुना जो कर दिया, पछताओगे