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Phool Singh

Horror Romance Tragedy

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Phool Singh

Horror Romance Tragedy

जीवन मोहरे

जीवन मोहरे

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ज्ञान-विज्ञान सब धरा रह जाता, नियति इम्तिहान जब लेती है 

तेज-चतुराई की परीक्षा लेती, अपनें मोहरों को खूब दौड़ाती है।


विधि की लेखी कट सके न,धर्म-कर्म सारे कराती है 

जैसी करनी-वैसी भरनी पड़ती, होकर होनी-अनहोनी रहती है।


कभी हँसाती कभी रुलाती, बना, कठपुतली हमे नचाती है 

भूमिका निभा सब चलते, बनते, सीमा, उम्र की जब पूरी हो जाती है।


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