जीवन की धूप
जीवन की धूप
सोख लो मेरे सारे आंसू अपने आँचल में
कि तेरा स्नेह मेरे अश्रु-प्रवाह को थाम लेता है।
दूर कर दो अन्धकार मेरे जीवन का
कि तेरे प्रेम का बहाव निराशा के काले मेघ उड़ा ले जाता है।
भर दो मन के खाली कोनों को आनंद की किरणों से
कि तेरे भीतर की सुनहरी धूप मेरे रोम-रोम को गरमा जाती है।
कानों में मेरे घोल दो रसभरा संगीत
कि तेरी मीठी बातों का जादू मेरे अन्तस् को सहला जाता है।
बुझा दो मेरे भीतर धधकती क्रोध-ज्वाल को
कि तेरे प्यार की बारिश से यह ज्वालामुखी ठंडा पड़ जाता है।
करती हो तुम जो भी मेरे लिए वही सार है जीवन का
कि तुम्हीं धूप हो मेरे जीवन की बस यही याद रह जाता है।