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Nishi Singh

Abstract

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Nishi Singh

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जीवन के रंग

जीवन के रंग

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जीवन के इस बगिया में,

दो फूल कहीं खिल जाते हैं ।

राहों पर चलते-चलते,

काँटे भी कहीं मिल जाते हैं ।

खुशियों से भरा जब जीवन हो,

हर दिन दिवाली लगता है ।

जब कष्ट पड़ा हो जीवन में,

हर पल क्यूँ खाली लगता है?

दिन के उजियारों के संग,

हर लोग साथ में चलते हैं ।

पर अँधियारों के आते ही

हर लोग किनारा करते हैं ।

पर ऐ पथिक ! तू मत घबरा,

चलता चला जा इन राहों पर ।

जो आज किनारा करते हैं,

कल तुम्हे मिलेंगे इन राहों पर ।


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