STORYMIRROR

Kapil Jain

Inspirational

3  

Kapil Jain

Inspirational

जीवन एक रंगमंच

जीवन एक रंगमंच

2 mins
14.2K


ये जीवन रंगमंच है...

यहाँ लोग आते हैं

अपना किरदार निभाते हैं

चले जाते हैं... 

आज गमगीन 

बहूँत देर से आसमान पर 

नज़रें टिकाये बैठा हूँ

चीज़ें जैसी हैं वैसी क्यूँ हैं,

क्यूँ यूँ ही बस उठ कर 

कोई चल देता है 

जीवन के बीच से,

समय से पहले 

क्यूँ बुझ जाती है बाती?

 इतनी सारी उलझनें है, 

इतने सारे अनुत्तरित प्रश्न हैं, 

मन इतना व्यथित और 

अव्यवस्थित है कि 

कुछ भी कह पाना संभव नहीं! 

क्या ऐसा नहीं हो सकता कि 

नियति से कोई चूक हो गई हो 

और इस बात का एहसास होते 

ही वह भूल सुधार करेगी 

और जो उसने छीना है!

 

सच मे "विदा"... 

शब्दकोष का सबसे 

रुआंसा शब्द है",

कैसे विदा हो जाऊं,

लो आ गई वापस…!

उन्होंने कहा भी तो था: 

"बोल ही तो नहीं पाऊंगी 

पर कह देती हूँ

इस बार

मुझे जाना ही नहीं है 

यह पृथ्वी छोड़ कर..."

फिर क्यूँ चले गए यूँ अचानक?

 

व्यथित मन उलझा हुआ 

समान पर बादल थे, 

मेरी आखें वहीं थीं दूर 

तकती सूने अम्बर को, 

कि आसमान मानों 

कह उठा-गलत हुआ,

ऐसा नहीं होना चाहिए था

वक़्त के होठों पर एक हसीं

सजाने वाले को यूँ नहीं जाना था 

एक गलत का निशान है न 

वहाँ अम्बर पर और 

वहीं एक पंछी उड़ा जा रहा है! 

***

आज यह कविता लिखते हुए

पढ़ते हुए आँखें नम हैं, 

क्या-क्या लिखें, 

उनकी कितनी बातें कोट करुं

कितनी कविताओं को याद करुं…

"सच कहूं, तो यादों 

की घंटियों के बीच ही कहीं,

अपने बचे हुए समय में,

गहरी उदास साझं में,

सायं-सायं करती 

तेज़ हवा चलती है,

और हवा से हिलती,

विंडचाइम की पाइपें,

एक दुसरे से टकराती हैं,

सर्द रातों में भी आप,

दरवाज़ा खोल कर देखते हैं,

जहाँ किसी ने,

अब होना ही नहीं है|"

 

किन्तु गूँज रहा है मानों शून्य में कहीं और

अक्षर धीमें से कह रहे हैं- कोई कहीं नहीं जाता, 

सब यहीं रहते हैं अपने अपनों के बीच…

जीवन के साथ भी, जीवन के बाद भी!

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational