जीत की रीत
जीत की रीत
चहक रहे विहग शाखों पर,
डटे हुए है तरु भी मुस्कुरा कर,
ना कलियों ने खिलना छोड़ आ,
ना पक्षियों ने चह- चहाना,
ना हिंद की धरती ने धैर्य छोड़ आ,
ना हिंद महासाग र ने रुख मोड़ा,
ना हम हिंदुस्तानियों ने अखंडता तोड़ी,
ना ही हमने अपनी एकता छोड़ी,
देख कोरोना,
सुबह ईश- वंदना से करते है,
स्वच्छता को अपना धर्म बनाते है,
आरोग्य को हम शस्त्र मानते है,
सामाजिक दूरी भी निभाते है,
दिल की दूरी तनिक ना बनाते है,
अपनों की चिता जला कर भी,
मानवता का फ़र्ज़ निभाते है,
जीत का बिगुल बजा दिया था हमने,
जिंदगी को भी जीना सिखा दिया हमने,
कोरोना तू भी सोचता ही रह गया,
पर, जीत ही हमारे भारत की रीत है.......