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Jay Bhatt

Inspirational

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Jay Bhatt

Inspirational

जीने का जज़्बा पक्का था

जीने का जज़्बा पक्का था

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मुझे चिंता थी अपने बारहवीं के परिणाम की,

सोच रहा था कहीं फ़ेल न हो जाऊ,

किये थे कई प्रयास,

सोच रहा था कहीं नाकाम न हो जाऊ।


बहुत सोचता रहता था,

तन्हाइयों में घिरा,

झूझता रहता था,

फ़िक्र थी इतनी परिणाम की,

की अब जीना कुछ छोड़ चूका था।


चिंताओं से घिरा रहता था,

बस आशाओं का सहारा था,

सोचता था पल पल मरने से अच्छा है,

एक झटके में मरने का निर्णय पक्का था।


कदम कुछ डगमगाए,

तो सोचने का वक़्त मिला,

ना जाने मैं क्यों रुक गया,

एक अनोखा एहसास मिला।


दिखा परिवार आँखों के सामने,

मेरे आँसू बह गए,

जा रहा था ख़तम करने अपनी ज़िन्दगी,

पर उनके कुछ उधार चुकाने रह गए।


हुआ मक्कम और खुदसे वादा किया,

पीछे न हटने का खुदसे सौदा किया,

देख लेंगे जो भी परिणाम हो,

माता पिता का आशीर्वाद लिया,

और इस ज़िन्दगी का सामना करना ठान लिया।


उस ऊपर वाले को भी मेरी कश्मकश दिखाई दी,

मेरे दर्द की गुहार उसके कानों तक सुनाई दी,

हुआ ऐसा कुछ जो मै सोच न सका,

फर्स्ट क्लास बारहवीं में पास हुआ,

और मुझे आगे बढ़ने से कोई रोक ना सका।


अब हुआ एहसास की उस वक़्त मैं गलत था,

असमंजस में घिरा एक बच्चा था,

रुक गया सही वक़्त पर मैं,

मिली सिख,

पर जीने का जज़्बा पक्का था।


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