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Archana kochar Sugandha

Inspirational

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Archana kochar Sugandha

Inspirational

जग में माँ सा नहीं कोई सानी

जग में माँ सा नहीं कोई सानी

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जग में माँ सा नहीं कोई सानी

जग में माँ सा नहीं कोई सानी

किसी भी हाल में नहीं देती बच्चों की कुर्बानी।


जब बेटा पैदा हुआ

रोशनी से हेली जगमगाई

खुले हाथों से दौलत लुटाई

मुँह मांगी बख्शीश सबने पाई।


तभी कुंडली पंडित जी को दिखाई 

देख कुंडली पंडित जी के माथे पर

चिंता की लकीरें खिंच आई।


बेटे को त्याग दो

चाहो तो जंगल राज दो

या मार दो,

जीते जी ज़मीन में गाड़ दो।

यह तो बनेगा हत्यारा

वंश खत्म करेगा सारा।


बाप असमंजस में पड़ गया

लेकिन माँ ममता में अड़ गई

भाग्य का लिखा मिटा नहीं सकती

जिगर के टुकड़े को

कलेजे से हटा नहीं सकती 

उच्च संस्कार से जीवन इसका संवार दूँगी

ज़िद यह ठान गई।


कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाती

मीठी-मीठी लोरी सुनाती।

पूत के पाँव पालने में ही पहचान गई

रंग-ढंग सब जान गई ।


बेटा जो उसे था जान से ज्यादा प्यारा 

बन गया वह तो कपटी और हत्यारा ।

दीन ईमान उसका डोल गया

दहशतगर्दी की जय वो बोल गया।

खेलते-खेलते खूनी जंग

परिवार को भी दिया, उसी रंग में रंग।


मरते-मरते बाप ने उसके जन्म पर अफसोस जता दिया

गहन पीड़ा में सिर अपना घुमा लिया।

लेकिन माँ तो ममता में बह गई

बेटा सुखी रहो, फूलो-फलो

मरते-मरते भी आशीर्वाद में कह गई।


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