जब कान्हा जी बाँसुरी बजावे
जब कान्हा जी बाँसुरी बजावे
जब कान्हा जी बाँसुरी बजावे,
मधुर आवाज़ कण कण बसजावे।
मोर अपने पंख फलावे,
कोयल अपना राग सुनावे।
राधा जी जब नाचे,
बाँसुरी ओर प्यारी लागे।
घास हरा-भरा मीठा भावे,
गइयाँ भी खुश हो जावे।

