जिंदगी के सफर पे
जिंदगी के सफर पे
जिंदगी के सफर पे बढ़ते है हम।
चलते है हम, पहुंचते है हम।
जब पैदा हुए हम,
मुबारक देते है सब।
चलते है हम, बढ़ते है हम ।
बढ़ते - बढ़ते साल हो जाए जब,
फिर जन्मदिन मनाते है हम।
फिर जन्मदिन क्यों मनाते हैं हम ?
पैसा बरबाद करते है हम।
फिर जन्मदिन क्यों मनाते हैं हम ?
जिंदगी के सफर पे बढ़ते है हम।
चलते है हम, पहुंचते है हम।
ज्ञान लेने चले जाते है हम,
स्कूल में जाते है हम।
दोस्तों के साथ लाखों उड़ाकर,
फिर खाली बैठ जाते हैं हम।
फिर क्यों नहीं समझते है हम?
पैसा बरबाद करते है हम ।
फिर क्यों नहीं समझते है हम?
जिंदगी के सफर पे बढ़ते है हम।
चलते है हम, पहुंचते है हम।
कुछ बनने के लिए कुछ करते हैं हम।
चलते है हम, बढ़ते हैं हम।
हम जीत जाए ये कहते हैं हम,
बढ़ते हैं हम, चलते है हम,
मेहनत करते रहते हैं हम,
फिर भी धोखा खा जाते हैं हम।
चलते - चलते यूं रुक जाते हैं हम,
तभी तो धोखा खा जाते हैं हम।
लालच करके फंस जाते हैं हम,
फंस जाते हैं हम, रुक जाते हैं हम।
दोस्तों की बातों में फंस जाते हैं हम,
बढ़ते हैं हम, अथक रहते हैं हम।
मंज़िल के पास रुक जाते हैं हम।
ज्ञात है सब,
हाँ हाँ सबl
फिर क्यों रुक जाते हैं हम?
जिंदगी के सफर पे .....
