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Somnath Sharma

Drama

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Somnath Sharma

Drama

जब झूठ ही सच हो

जब झूठ ही सच हो

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जब झूठ ही सच हो,

तब सच कितना भी 'ठोस' हो।

हज़ारों-लाखों लोग 'सत्यवादी'

कुछ चंद- अमावसी चंद्र, 'असत्यवादी'।

पर समय तो सबका साक्षी,

सब्र रखने वालो का साथी।


बेनकाब कर देता है सच का नकाब,

लाखों लोगो की हार,

कुछ चंद का विश्वास,

पर फिर भी 'झूठ' सच बन के

खड़ा रहता है बन ठन के।


लाखों का जो है उपकार

बनाये रखते हैं अम्बार

इन्हें फर्क नहीं जो भी हो-

जब झूठ ही सच हो।


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