हम क्या लिखेंगे
हम क्या लिखेंगे


हम क्या लिखेंगे
कुछ अफवाह लिखेंगे
फूहड़ता का अम्बार भरेंगे
आँखों के सागर का संसार लिखेंगे
हम क्या लिखेंगे
प्रपंच के जाल बुनेंगे
नफरत की गज़ले पढ़ेंगे
खौफ की किताब गढ़ेंगे
हम क्या लिखेंगे
बच्चों के जलते हुये,
स्वप्नों का अंगार लिखेंगे
बदलते वक़्त मे,
बदलते इंसान रचेंगे
हैवानों की हैवानियत का,
नया आलाप कहेंगे
हम क्या लिखेंगे