जब हम बच्चे थे
जब हम बच्चे थे
वो दिन भी हमारे लिए कितने खास थे
जब खेलने के लिए खिलौने हमारे पास थे
सबको एक नज़र से देखे, अक्ल के हम कच्चे थे
वो दिन थे कितने सुंदर, जब हम बच्चे थे
ना धर्म के नाम पर हम बटे हुए थे
ना जाती के कारण एक दूजे से कटे हुए थे
मन मे हमारे मैल नही था, मन के बड़े सच्चें थे
वो दिन थे कितने सुंदर, जब हम बच्चे थे
अपनी मर्जी से जीते थे अपना हर एक पल
हम नही चिंता करते थे कि क्या होगा आने वाला कल
गली - मोहल्ले में हमारी नादानियों के चर्चे थे
वो दिन थे कितने सुंदर, जब हम बच्चे थे
छोटी छोटी बातों में ढूंढ लेते थे खुशियाँ हज़ार
हम बच्चे थे, हर कोई करता था हमसे प्यार
हर किसी को हम लगते बड़े अच्छे थे
वो दिन थे कितने सुंदर जब हम बच्चे थे
जब हम बच्चे थे, सबके राज दुलारे थे
हर किसी की अँखियों के तारे थे
अपनी अलग ही दुनिया को हम रचते थे
वो दिन थे कितने सुंदर जब हम बच्चे थे
बड़े होते ही हमे जिम्मेदारियों ने घेर लिया
खुशियों ने हमसे अपना मुंह फेर लिया
कितना अच्छा था वो समय जब ना हमारे कोई खर्चे थे
वो दिन थे कितने सुंदर, जब हम बच्चे थे।
