जब बाल जन्म ले धरती पर
जब बाल जन्म ले धरती पर
क्या सुंदर प्रेम मिलन फल हो,
जब बाल जनम ले धरती पर
किलकारी से शोभित आँगन,
धाम चार सा हो मन पावन।
ऐसा भी क्या कष्ट दिया,
उस नन्ही जान अनजानी ने
नौ महीने तन से लिपटा कर,
अलग किया ज्यों पाप किया।
कैसा उस माँ का सीन होगा,
हत्या कर देती कलेजे की
कैसे धकेला जाता होगा,
उसको गर्भपात के अंधेरे में।
देख मनुष ये कैसी प्रवित्ति,
आधुनिकता की आड़ तले
क्या होगा तेरा इस बार जवाब,
जब होगा महाकाल का रौद्र हिसाब।
